जस दूलहु तसि बनी बराता। कौतुक बिबिध होहिं मग जाता॥

1 year ago

जस दूलहु तसि बनी पार्वती विवाह, भृंगी के अवाहन पर सभी भूत, प्रेत, पिशाच, बेताल, डाकिनी, जोगिनी, शिव जी की… Read More

सिवहि संभु गन करहिं सिंगारा। जटा मुकुट अहि मौरु सँवारा॥

1 year ago

सिवहि संभु गन करहिं विवाह शिव जी का हो रहा है कैलाश पर कोई हलचल नहीं हो रही सभी उत्सव… Read More

तदपि एक मैं कहउँ उपाई। होइ करै जौं दैउ सहाई॥

1 year ago

तदपि एक मैं कहउँ पार्वती विवाह- हे पर्वतराज! ब्रह्मा जी ने जो ललाट पर लिख दिया है, उसे देवता, देत्य,मनुष्य, नाग और… Read More

तेहिं तपु कीन्ह संभु पति लागी। सिव समाधि बैठे सबु त्यागी॥

2 years ago

तेहिं तपु कीन्ह संभु पार्वती विवाह-देवताओं ने ब्रह्मा जी से कहा की आपने ऐसा वरदान क्यों दिया ? ब्रह्मा जी… Read More

श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधार।

2 years ago

श्री गुरु चरण सरोज तुलसीदास जी ने कहा-गुरु जी के चरण कमल के रज से अपने मन रूपी दर्पण को… Read More

मोहि सम यह अनुभयउ न दूजें। सबु पायउँ रज पावनि पूजें।।

2 years ago

मोहि सम यह अनुभयउ गुरु संत की महिमा- नारायण दास नाभा जी कहते है भगवान, भगवान का भक्त, भक्ति, और गुरु-कहने को तो ये चार है, किन्तु वास्तव में… Read More

नर तन सम नहिं कवनिउ देही। जीव चराचर जाचत तेही।।

2 years ago

नर तन सम नहिं मानस चिंतन,मनुष्य शरीर का मिलना सबसे दुर्लभ है। स्वर्ग के देवी-देवता भी मनुष्य शरीर चाहते हैं।… Read More

प्रभु माया बलवंत भवानी। जाहि न मोह कवन अस ग्यानी॥

2 years ago

प्रभु माया बलवंत भवानी। माया का प्रभाव - गरुण जी कोई साधारण नहीं है गरुण जी त्रिलोक पति के वाहन… Read More

यह सब माया कर परिवारा। प्रबल अमिति को बरनै पारा।।

2 years ago

यह सब माया कर माया का परिवार-संतो  द्वारा सुन्दर व्याख्या माया अकेली नहीं है इसके  परिवार में के आठ पुत्र,आठ पुत्र… Read More

माया,मैं अरु मोर तोर तैं माया। जेहिं बस कीन्हे जीव निकाया॥

2 years ago

मैं अरु मोर तोर माया जड़ है जैसे कुल्हाड़ी स्वयं कुछ नहीं कर सकती जब कोई  कुल्हाड़ी को उठा कर… Read More