साखामग कै बड़ि मनुसाई। हनुमान जी की दीनता लघुता- हनुमान को ही अष्ट सिद्धि और नव निधियों का दाता कहा… Read More
रामहि केवल प्रेमु पिआरा। गोपियों ने कहा-हे उद्धवजी! हम जानते हैं कि संसार में किसी से आशा न रखना ही… Read More
कह प्रभु ससि महुँ मेचकताई। सुबेल पर्वत पर भगवान बैठे है राम जी को चन्द्रमा के कलंक को देखकर पुलस्त्य… Read More
जोरि पानि प्रभु कीन्ह प्रनामू। हम सभी कक्षा एक से केवल और केवल यही गाते आ रहे है। जीवन हो… Read More
परहित बस जिन्ह के मन माहीं । संत कहते है आत्म कल्याण से मनुष्य पर प्रभु की कृपा नहीं हो… Read More
बिनु सतसंग बिबेक न होई। सत्संग का अर्थ 'संतों का संग' ऐसा इसलिए संत अथाह ज्ञान का भंडार होते हैं और… Read More
गुर बिनु भव निध तरइ न कोई। तीन लोक नौ खण्ड में गुरु से बड़ा न कोय, करता जो न… Read More
देह धरे कर यह फलु भाई। मनुष्य को जो देह से प्यार है उसमे कोई सा भी ऐसा आइटम नहीं… Read More
सीता राम चरन रति मोरें। तुलसीदास जी अपने भगवान राम से कह रहे- हे रघुवीर, मुझ जैसा दीनहीन कोई नहीं… Read More
रामनाम की औषधि खरी नियत से खाय। राम नाम की बड़ी अद्भुत महिमा है। बस, जरूरत है तो केवल श्रद्धा,… Read More