अहंकार,नहिं कोउ अस जनमा जग माहीं। प्रभुता पाइ जाहि मद नाहीं॥

1 year ago

नहिं कोउ अस जनमा एक अकेला अहंकार ही जीव को नर्क की यात्रा करा देता है। अहंकार अविद्या या अज्ञान… Read More

मानस चिंतन,भरी उनकी आँखों में है कितनी करुणा।

1 year ago

भरी उनकी आँखों आज के समय में मित्रता जल्दी टूट जाती है जबकि मित्रता कभी टूटती  ही नहीं अगर टूटती… Read More

प्रेम,बार बार प्रभु चहइ उठावा। प्रेम मगन तेहि उठब न भावा॥

2 years ago

बार बार प्रभु चहइ रामजी हनुमान जी को बार-बार उठाना चाहते है, परंतु प्रेम में डूबे हुए हनुमान जी को… Read More

मानस चिंतन,जानें बिनु न होइ परतीती । बिनु परतीति होइ नहि प्रीती ।

2 years ago

जानें बिनु न होइ किसी से प्रेम तब तक नहीं हो सकता जब तक उसके विषय में जानकारी ना हो… Read More

कह रघुबीर देखु रन सीता। लछिमन इहाँ हत्यो इँद्रजीता।।

2 years ago

कह रघुबीर देखु रन प्रभु रामजी अपना पराक्रम कभी नहीं कहा- उनकी सदा रीति है कि वे हमेशा किये गए… Read More

श्रवन सुजसु सुनि आयउँ, प्रभु भंजन भव भीर।

2 years ago

श्रवन सुजसु सुनि आयउँ विभीषण की शरणागति के माध्यम से गोस्वामी जी- ने मनुष्य को ईश्वर की शरण में जाने की… Read More

गहि सरनागति राम की, भवसागर की नाव।रहिमन जगत उधार को,

2 years ago

गहि सरनागति राम की सभी युगों में शरणागति की महिमा भारी है सारे वेद, बेदान्त, रामायण, गीता , भागवत  उपनिषद्,… Read More

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।

2 years ago

  देवताओ की सरनागति,जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता। रामायण में देवताओ की सरनागति-रावण के द्वारा जो अत्याचार हो… Read More

परहित,वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर।

2 years ago

  परहित,वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा सरीर।। साधु का स्वभाव परोपकारी… Read More

सरल,गुर पद बंदि सहित अनुरागा। राम मुनिन्हसन आयसु मागा॥

2 years ago

सरल,गुर पद बंदि सहित अनुरागा। राम मुनिन्हसन आयसु मागा॥ रामचन्द्रजी ने मुनि से आज्ञा माँगी समस्त जगत के स्वामी राम सुंदर मतवाले श्रेष्ठ हाथी की-सी… Read More