बंदउँ संत असज्जन चरना। दुःखप्रद उभय बीच कछु बरना॥

5 months ago
Mahender Upadhyay

संत-असंत वंदना जितनी वन्दना मानस में बाबा तुलसी ने की उतनी वंदना किसी दूसरे ग्रंथ में किसी ने नहीं की… Read More

जिमि जिमि तापसु कथइ उदासा। तिमि तिमि नृपहि उपज बिस्वासा॥

11 months ago

  जिमि जिमि तापसु कथइ अवतार के हेतु, प्रतापभानु  साधारण धर्म में भले ही रत रहा हो ज्ञानी भले ही… Read More

बिस्व बिदित एक कैकय देसू। सत्यकेतु तहँ बसइ नरेसू॥

11 months ago

बिस्व बिदित एक कैकय अवतार के हेतु, फल की आशा को त्याग कर कर्म करते रहना चाहिए समस्त कर्मो के… Read More

स्वायंभू मनु अरु सतरूपा। जिन्ह तें भै नरसृष्टि अनूपा॥

11 months ago

स्वायंभू मनु अरु अवतार के हेतु,ब्रह्म अवतार की विशेषता यह है कि इसमें रघुवीरजी ने सभी चरित्रों कोअतिशय अर्थात पूर्ण… Read More

सुमिरत हरिहि श्राप गति बाधी। सहज बिमल मन लागि समाधी॥

12 months ago

सुमिरत हरिहि श्राप गति अवतार के हेतु, कैलाश पर्वत तो पूरा ही पावन है पर जहाँ जहाँ गंगा जी बहती… Read More

नारद श्राप दीन्ह एक बारा। कलप एक तेहि लगि अवतारा।।

12 months ago

  अवतार के हेतु, भगवान को वृन्दा और नारद जी ने करीब करीब एक सा ही श्राप दिया। एक जनम… Read More

एक कलप सुर देखि दुखारे। समर जलंधर सन सब हारे॥

12 months ago

एक कलप सुर देखि अवतार के हेतु, एक कल्प में सब देवताओं को जलन्धर दैत्य से युद्ध में हार जाने… Read More

राम जनम के हेतु अनेका। परम बिचित्र एक तें एका॥

12 months ago

  राम जनम के हेतु राम अवतार के कारण 2-पार्वती जी विवाह के उपरांत भगवत चिंतन करती है एक दिन… Read More

जस दूलहु तसि बनी बराता। कौतुक बिबिध होहिं मग जाता॥

1 year ago

जस दूलहु तसि बनी पार्वती विवाह, भृंगी के अवाहन पर सभी भूत, प्रेत, पिशाच, बेताल, डाकिनी, जोगिनी, शिव जी की… Read More

सिवहि संभु गन करहिं सिंगारा। जटा मुकुट अहि मौरु सँवारा॥

1 year ago

सिवहि संभु गन करहिं विवाह शिव जी का हो रहा है कैलाश पर कोई हलचल नहीं हो रही सभी उत्सव… Read More