नाथ एक संसउ बड़ मोरें। करगत बेदतत्त्व सबु तोरें॥
नाथ एक संसउ बड़ मोरें। वाल्मीकि रामायण के बाद दूसरी रामकथा तुलसीकृत श्रीरामचरितमानस में भरद्वाज… Read More
नाथ एक संसउ बड़ मोरें। वाल्मीकि रामायण के बाद दूसरी रामकथा तुलसीकृत श्रीरामचरितमानस में भरद्वाज… Read More
जब तें रामु ब्याहि घर आए । परम पूज्य संत श्री डोंगरे जी महाराज कहा… Read More
देखि देखि आचरन तुम्हारा। वशिष्ठ जी कहते है- ब्रह्मा जी के कहने पर मैंने उपरोहित्य… Read More
जब तें सती जाइ तनु त्यागा। पार्वती विवाह3- सती के साथ कैलाश पर नित्य कथा… Read More
रचि महेस निज मानस राखा। तुलसी ने मानस सरोवर की तुलना सामान्य सरोवर से कि… Read More
प्रभु पहिचानि परेउ गहि चरना। हनुमान जी ने अपना विप्र रूप का वेष रखकर राम… Read More
ईस्वर अंस जीव अबिनासी। तुलसीदासजी ने कहा-शुकदेवजी, सनकादि, नारदमुनि आदि जितने भक्त और परम ज्ञानी… Read More
प्रार्थना में दीन भाव जरूर बनाए रखें। दीन दयाल बिरिदु संभारी। प्रार्थना में आप मांग… Read More
जय जय राम कथा|जय श्री राम कथा। तुलसीदास जी द्वारा महिमा- संजीवनी बूटी से मरे… Read More
पर हित लागि तजइ जो देही। काम देव ने विचार किया कि मैंने अभी तक… Read More