तुम्ह सारिखे संत प्रिय मोरें।धरउँ देह नहिं आन निहोरें॥

4 years ago

  तुम्ह सारिखे संत प्रिय मोरें। भगवान रामजी का विभीषणजी के माध्यम हम सभी को दिव्य संदेश रामजी ने कहा-  मनुष्य की ममता नौ जगह  रहती… Read More

साखामग कै बड़ि मनुसाई। साखा तें साखा पर जाई॥

4 years ago

साखामग कै बड़ि मनुसाई। हनुमान जी की दीनता लघुता- हनुमान को ही अष्ट सिद्धि और नव निधियों का दाता कहा… Read More

रामहि केवल प्रेमु पिआरा। जानि लेउ जो जान निहारा॥

4 years ago

रामहि केवल प्रेमु पिआरा। गोपियों ने कहा- हे उद्धवजी! हम जानते  हैं कि संसार में किसी से  आशा न रखना… Read More

चंद्रोदय,कह प्रभु ससि महुँ मेचकताई। कहहु काह निज निज मति भाई॥

5 years ago

कह प्रभु ससि महुँ मेचकताई। सुबेल पर्वत पर भगवान बैठे है कह रहे है।राम  जी को  चन्द्रमा के कलंक को … Read More

जोरि पानि प्रभु कीन्ह प्रनामू। पिता समेत लीन्ह निज नामू॥

5 years ago

  जोरि पानि प्रभु कीन्ह प्रनामू। हम सभी कक्षा एक से  केवल और केवल यही  गाते आ रहे है जीवन… Read More

परहित बस जिन्ह के मन माहीं ।तिन्ह कहुँ जग दुर्लभ कछु नाहीं ॥

5 years ago

  परहित बस जिन्ह के मन माहीं । संत  कहते  है आत्म कल्याण से मनुष्य पर  प्रभु की कृपा नहीं… Read More

बिनु सतसंग बिबेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।

5 years ago

  बिनु सतसंग बिबेक न होई। सत्संग का अर्थ 'संतों का संग' ऐसा इसलिए संत अथाह ज्ञान का भंडार होते हैं… Read More

मनुष्य शरीर,देह धरे कर यह फलु भाई। भजिअ राम सब काम बिहाई।।

5 years ago

देह धरे कर यह फलु भाई। रामचंद्रजी ने स्वयं कहा - मनुष्य को जो देह से प्यार है उसमे कोई सा भी… Read More

प्रार्थना,सीता राम चरन रति मोरें। अनुदिन बढ़उ अनुग्रह तोरें॥

5 years ago

    सीता राम चरन रति मोरें। तुलसीदास जी अपने भगवान राम से कह रहे- हे रघुवीर, मुझ जैसा दीनहीन… Read More