रामायण

सलाह,मुनि मख राखन गयउ कुमारा। बिनु फर सर रघुपति मोहि मारा॥

रावण को 19 बार वैर छोड़ कर राम का भजन करने का उपदेश दिया गया तब भी उसने किसी की… Read More

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जामवंत, कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना।।

कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। काकभुशुण्डिजी कहते हैं- हे गरुड़जी! हनुमान जी को छोड़ कर सभी बलवान है तभी तो सभी… Read More

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कह बालि सुनु भीरु प्रिय समदरसी रघुनाथ।

कह बालि सुनु भीरु प्रिय समदरसी रघुनाथ। तारा ने बाली से कहा कि हे नाथ! सुनिए, सुग्रीव जिनसे मिले हैं… Read More

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नारद सिख जे सुनहिं नर नारी। अवसि होहिं तजि भवनु भिखारी॥

नारद सिख जे सुनहिं नर नारी। सप्तऋषि ने पार्वती को भटकाने के लिए बहुत कुछ कहा:-जो स्त्री-पुरुष नारद की सीख… Read More

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जौं बिनु बोलें जाहु भवानी। रहइ न सीलु सनेहु न कानी॥

जौं बिनु बोलें जाहु भवानी। शिव जी के मन को भाने का कारण- यज्ञ भगवान का अंग है उसका दर्शन… Read More

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सलाह,बार बार बिनवउँ मुनि तोही। जिमि यह कथा सुनायहु मोही॥

बार बार बिनवउँ मुनि तोही। शिवजी ने नारदजी से कहा हे मुनि! मैं तुमसे बार-बार विनती करता हूँ कि जिस… Read More

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जरा मरन दुख रहित तनु समर जितै जनि कोउ। एकछत्र रिपुहीन महि।

जरा मरन दुख रहित तनु समर जितै जनि कोउ। प्रताप भानु के मुठी में तीनो के तीन धर्म अर्थ काम… Read More

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राम सप्रेम कहेउ मुनि पाहीं। नाथ कहिअ हम केहि मग जाहीं॥

राम सप्रेम कहेउ मुनि पाहीं। नाथ कहिअ हम केहि मग जाहीं॥ प्रभु श्री राम स्वयं विष्णु के अवतार थे। उनके… Read More

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असरन सरन बिरदु संभारी। मोहि जनि तजहु भगत हितकारी।।

असरन सरन बिरदु संभारी। अंगद की दीनता।अंगद ने कहा पिता के मरने पर में अशरण था तब आपने मुझे शरण… Read More

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कारन कवन नाथ नहिं आयउ। जानि कुटिल किधौं मोहि बिसरायउ।।

कारन कवन नाथ नहिं आयउ। भरत की दीनता=भरतजी जैसा संत जिसको राम जी भजते हैं। बृहस्पति जी इंद्र से भरत… Read More

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