रघुबंसिन्ह कर सहज श्री रामचन्द्रजी भाई लक्ष्मण से बोले- सहज सुभाऊ' अर्थात् उनका मन स्वतः वश में रहता है, उनको साधन… Read More
परशुरामजी (समर=युद्ध )करने पर तुले हुए और रामजी युद्ध नहीं करना चाहते है क्योंकि ब्राह्मण है यदि रामजी सीधे कह देते कि मैंने धनुष तोड़ा तब युद्ध होता, दूसरे प्रकट करने में कि हमने तोड़ा है,अभिमान ( सूचित )होता है। अपने को धनु भंजनिहारा। अति बिनीत मृदु सीतल बानी। बोले रामु जोरि जुग पानी॥ कह कर अपने को दास कहा कि तुम्हारा कोई एक दास होगा युद्ध करने से रामजी को ब्रह्म हत्या लगती रामजी अपनी प्रशंसा कभी नहीं करते ऐसा भाव युद्ध के बाद रामजी ने सीता एवं गुरु वशिष्ठ से भी कहा नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइहि केउ एक दास तुम्हारा॥… Read More
तब कर कमल जोरि रघुराई। यहाँ रामजी ने हाथ जोड़ कर अपने ऐश्वर्य को छुपाया और मुनि के भजन के… Read More
नाइ सीसु पद अति अनुरागा। उठि रघुबीर बिदा तब मागा॥ अति अनुरागा। का भाव वनवास सुनकर रामजी के मन… Read More
हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी। तुम्ह देखी सीता मृगनैनी॥ हे पक्षियों! हे पशुओं! हे भौंरों की पंक्तियों! तुमने कहीं… Read More
सरल,दुनिया में जो देव पुजे है सभी पुजे है प्रभाव से। भगवान राम का स्वभाव सहज और सरल है। ऐसा… Read More
सलाह,भल न कीन्ह तैं निसिचर नाहा। कुम्भकर्ण की रावण को सलाह- तुम राक्षसो के नाथ हो । तुम्हे ऐसा कर्म… Read More
दसमुख कहा मरमु तेहिं सुना। कालनेमि की रावण को सलाह- रावण का एक भेदिया दूत वानरी सेना मे प्रविष्ट हो… Read More
कह सुक नाथ सत्य सब बानी। शुक द्वारा रावण को सलाह-शुक को रावण ने विभीषण के पीछे भेजा था। वानरों… Read More
बोला बचन नीति अति पावन। माल्यवंत की रावण को सलाह- माल्यवंत में यहाँ चार विशेषता कहीं गई -( १) (अति… Read More