मेरा मुझमें कुछ नहीं,जो कुछ है सो तोर। कबीर कह रहे हैं कि अगर आपको अपना बड़प्पन रखना है तो… Read More
उपजइ राम चरन बिस्वासा। तुलसीदास जी ने कहा-अपने अपने धर्म में जो अटल विश्वास है, वह अक्षयवट है और शुभ… Read More
कवनिउ सिद्धि कि बिनु बिस्वासा। ये तो भारत जैसे सनातन धर्म की महिमा है कि श्रद्धा और विश्वास के कारण… Read More
बंधन काटि गयो उरगादा। रण की शोभा तब ही होती है जब बराबर के वीरों का युद्ध हो हे… Read More
मोरेहु कहें न संसय जाहीं। पार्वती जी के मन में संशय- जगत को पवित्र करनेवाले सच्चिदानंद की जय हो, इस… Read More
एकरूप तुम्ह भ्राता दोऊ। श्री राम जी के मन में संशय- बालि और सुग्रीव के जन्म के विषय में एक… Read More
देखहु मुनि अबिबेकु हमारा। पार्वती विवाह- शंकर जी ने सप्तऋषियों से कहा की जाकर पार्वती जी की परीक्षा लो सप्तऋषियों… Read More
सौरज धीरज तेहि रथ चाका। तुलसीदास ने रामजी के माध्यम से हम सभी को यह सन्देश दिया कि हमारे जीवन… Read More
रावनु रथी बिरथ रघुबीरा। तुलसी का धर्म रथ-संसार में विजय प्राप्त करने के लिए धर्म और आचरण एक निर्णायक तत्त्व… Read More
तेहि कौतुक कर मरमु न काहूँ। काकभुशुण्डि हे पक्षीराज! मुझे यहाँ निवास करते सत्ताईस कल्प बीत गए, संत का मत… Read More