गहि सरनागति राम की, भवसागर की नाव।रहिमन जगत उधार को,
गहि सरनागति राम की सभी युगों में शरणागति की महिमा भारी है सारे वेद, बेदान्त,… Read More
गहि सरनागति राम की सभी युगों में शरणागति की महिमा भारी है सारे वेद, बेदान्त,… Read More
परहित,वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा सरीर।।… Read More
गुर पद बंदि सहित अनुरागा। रामचन्द्रजी ने मुनि से आज्ञा माँगी समस्त जगत के स्वामी राम सुंदर मतवाले श्रेष्ठ हाथी… Read More
जानहु मुनि तुम्ह मोर सुभाऊ। राम जी नारद से हे मुनि! यहाँ प्रभु ने अपना… Read More
रघुबंसिन्ह कर सहज श्री रामचन्द्रजी भाई लक्ष्मण से बोले- सहज सुभाऊ' अर्थात् उनका मन स्वतः वश… Read More
अति बिनीत मृदु सीतल बानी। परशुरामजी (समर=युद्ध)करने पर तुले हुए और रामजी युद्ध नहीं करना… Read More
तब कर कमल जोरि रघुराई। यहाँ रामजी ने हाथ जोड़ कर अपने ऐश्वर्य को छुपाया… Read More
नाइ सीसु पद अति अनुरागा। अति अनुरागा। का भाव वनवास सुनकर रामजी के मन में… Read More
हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी। तुम्ह देखी सीता मृगनैनी॥ हे पक्षियों! हे पशुओं! हे… Read More
दुनिया में जो देव पुजे है सभी पुजे है प्रभाव से। भगवान राम का स्वभाव… Read More