रामचरितमानस चिंतन

गहि सरनागति राम की, भवसागर की नाव।रहिमन जगत उधार को,

गहि सरनागति राम की सभी युगों में शरणागति की महिमा भारी है सारे वेद, बेदान्त, रामायण, गीता , भागवत  उपनिषद्,… Read More

2 years ago

परहित,वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर।

  परहित,वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा सरीर।। साधु का स्वभाव परोपकारी… Read More

2 years ago

सरल,गुर पद बंदि सहित अनुरागा। राम मुनिन्हसन आयसु मागा॥

सरल,गुर पद बंदि सहित अनुरागा। राम मुनिन्हसन आयसु मागा॥ रामचन्द्रजी ने मुनि से आज्ञा माँगी समस्त जगत के स्वामी राम सुंदर मतवाले श्रेष्ठ हाथी की-सी… Read More

2 years ago

सरल,जानहु मुनि तुम्ह मोर सुभाऊ। जन सन कबहुँ कि करऊँ दुराऊ॥

जानहु मुनि तुम्ह मोर सुभाऊ। राम जी नारद से हे मुनि! यहाँ प्रभु ने अपना स्वभाव अपने मुख से कहा… Read More

2 years ago

सरल,रघुबंसिन्ह कर सहज सुभाऊ। मनु कुपंथ पगु धरइ न काऊ॥

रघुबंसिन्ह कर सहज श्री रामचन्द्रजी भाई लक्ष्मण से बोले- सहज सुभाऊ' अर्थात्‌ उनका मन स्वतः वश में रहता है, उनको साधन… Read More

2 years ago

सरल,अति बिनीत मृदु सीतल बानी। बोले रामु जोरि जुग पानी॥

परशुरामजी (समर=युद्ध )करने पर  तुले हुए और  रामजी  युद्ध नहीं करना चाहते  है क्योंकि ब्राह्मण है यदि  रामजी  सीधे कह देते कि मैंने धनुष तोड़ा  तब युद्ध होता, दूसरे प्रकट करने में कि हमने तोड़ा है,अभिमान ( सूचित )होता है। अपने को धनु भंजनिहारा। अति बिनीत मृदु सीतल बानी। बोले रामु जोरि जुग पानी॥  कह कर अपने को दास कहा  कि तुम्हारा कोई एक दास होगा युद्ध करने से रामजी को  ब्रह्म हत्या  लगती रामजी अपनी प्रशंसा कभी नहीं करते  ऐसा भाव युद्ध के बाद रामजी ने सीता एवं गुरु वशिष्ठ से भी कहा नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइहि केउ एक दास तुम्हारा॥… Read More

2 years ago

सरल,तब कर कमल जोरि रघुराई। बोले बचन श्रवन सुखदाई।।

तब कर कमल जोरि रघुराई। यहाँ रामजी ने हाथ जोड़ कर अपने ऐश्वर्य को छुपाया और मुनि के भजन के… Read More

2 years ago

सरल,नाइ सीसु पद अति अनुरागा। उठि रघुबीर बिदा तब मागा॥

  नाइ सीसु पद अति अनुरागा। उठि रघुबीर बिदा तब मागा॥ अति अनुरागा। का भाव वनवास सुनकर रामजी के मन… Read More

2 years ago

सरल,हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी। तुम्ह देखी सीता मृगनैनी॥

हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी। तुम्ह देखी सीता मृगनैनी॥ हे पक्षियों! हे पशुओं! हे भौंरों की पंक्तियों! तुमने कहीं… Read More

2 years ago

सरल,दुनिया में जो देव पुजे है सभी पुजे है प्रभाव से।

सरल,दुनिया में जो देव पुजे है सभी पुजे है प्रभाव से। भगवान राम का स्वभाव सहज और सरल है। ऐसा… Read More

2 years ago