नर तन सम नहिं मानस चिंतन,मनुष्य शरीर का मिलना सबसे दुर्लभ है। स्वर्ग के देवी-देवता भी मनुष्य शरीर चाहते हैं।… Read More
यह सब माया कर माया का परिवार-संतो द्वारा सुन्दर व्याख्या माया अकेली नहीं है इसके परिवार में के आठ पुत्र,आठ पुत्र… Read More
मैं अरु मोर तोर माया जड़ है जैसे कुल्हाड़ी स्वयं कुछ नहीं कर सकती जब कोई कुल्हाड़ी को उठा कर… Read More
एक बार प्रभु सुख लक्ष्मणजी के वचनों में ही क्या, उनके हृदय में, उनके आचरण में कभी कोई छल-कपट की… Read More
माया मरी न मन संत कबीर ने कहा शरीर तो नष्ट हो जाता है पर मन में उठने वाली आशा… Read More
नहिं कोउ अस जनमा एक अकेला अहंकार ही जीव को नर्क की यात्रा करा देता है। अहंकार अविद्या या अज्ञान… Read More
भरी उनकी आँखों आज के समय में मित्रता जल्दी टूट जाती है जबकि मित्रता कभी टूटती ही नहीं अगर टूटती… Read More
जानें बिनु न होइ किसी से प्रेम तब तक नहीं हो सकता जब तक उसके विषय में जानकारी ना हो… Read More
कह रघुबीर देखु रन प्रभु रामजी अपना पराक्रम कभी नहीं कहा- उनकी सदा रीति है कि वे हमेशा किये गए… Read More
श्रवन सुजसु सुनि आयउँ विभीषण की शरणागति के माध्यम से गोस्वामी जी- ने मनुष्य को ईश्वर की शरण में जाने की… Read More