मानसरोग

जौं बिनु बोलें जाहु भवानी। रहइ न सीलु सनेहु न कानी॥

जौं बिनु बोलें जाहु भवानी। शिव जी के मन को भाने का कारण- यज्ञ भगवान का अंग है उसका दर्शन… Read More

2 years ago

सलाह,बार बार बिनवउँ मुनि तोही। जिमि यह कथा सुनायहु मोही॥

बार बार बिनवउँ मुनि तोही। शिवजी ने नारदजी से कहा हे मुनि! मैं तुमसे बार-बार विनती करता हूँ कि जिस… Read More

2 years ago

जरा मरन दुख रहित तनु समर जितै जनि कोउ। एकछत्र रिपुहीन महि।

जरा मरन दुख रहित तनु समर जितै जनि कोउ। प्रताप भानु के मुठी में तीनो के तीन धर्म अर्थ काम… Read More

2 years ago

राम सप्रेम कहेउ मुनि पाहीं। नाथ कहिअ हम केहि मग जाहीं॥

राम सप्रेम कहेउ मुनि पाहीं।  प्रभु श्री राम स्वयं विष्णु के अवतार थे। उनके पास असीम शक्तियां थी, परंतु उन्होंने… Read More

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असरन सरन बिरदु संभारी। मोहि जनि तजहु भगत हितकारी।।

असरन सरन बिरदु संभारी। अंगद की दीनता।अंगद ने कहा पिता के मरने पर में अशरण अर्थात अनाथ था तब आपने… Read More

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कारन कवन नाथ नहिं आयउ। जानि कुटिल किधौं मोहि बिसरायउ।।

कारन कवन नाथ नहिं आयउ। भरत की दीनता=भरतजी जैसा संत जिसको राम जी भजते हैं। बृहस्पति जी इंद्र से भरतजी… Read More

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मैं निसिचर अति अधम सुभाऊ। सुभ आचरनु कीन्ह नहिं काऊ॥

मैं निसिचर अति अधम सुभाऊ। विभीषण जी ने कहा-नाथ दसानन कर मैं भ्राता।  अपनी अधमता दिखाने के लिए अपने को… Read More

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गौतम नारि श्राप बस उपल देह धरि धीर। चरन कमल रज चाहति

गौतम नारि श्राप बस उपल देह धरि धीर। राम शब्द का अर्थ परम ब्रह्म है। कालिदास ने भी कहा हरि… Read More

2 years ago

होइहि भजनु न तामस देहा। मन क्रम बचन मंत्र दृढ़ एहा॥

होइहि भजनु न तामस देहा। विभीषण में दीनता का भाव- विभीषण हनुमान से बोल रहे है "तामस तनु कछु साधन… Read More

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ता पर मैं रघुबीर दोहाई। जानउँ नहिं कछु भजन उपाई॥

ता पर मैं रघुबीर दोहाई। श्री हनुमान जी में भक्ति के सारे गुण है पर फिर भी अपने को गुण… Read More

2 years ago