बिनती करउँ जोरि कर रावन। हनुमानजी ने रावण से कहा- हे रावण! मैं तुमसे हाथ जोड़कर विनती करता हूँ- कि… Read More
रे त्रिय चोर कुमारग गामी। रावन का माता जानकी को सुमुखि' का भाव यह है कि मैं तुम्हारे सुन्दर मुख … Read More
जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल। तुलसीदास जी ने कहा-योग, लग्न, ग्रह, वार, तिथि इत्यादि सभी अनुकूल हो… Read More
रावण को 19 बार वैर छोड़ कर राम का भजन करने का उपदेश दिया गया तब भी उसने किसी की… Read More
कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। काकभुशुण्डिजी कहते हैं- हे गरुड़जी! हनुमान जी को छोड़ कर सभी बलवान है तभी तो सभी… Read More
कह बालि सुनु भीरु प्रिय समदरसी रघुनाथ। तारा ने बाली से कहा कि हे नाथ! सुनिए, सुग्रीव जिनसे मिले हैं… Read More
जौं बिनु बोलें जाहु भवानी। शिव जी के मन को भाने का कारण- यज्ञ भगवान का अंग है उसका दर्शन… Read More
बार बार बिनवउँ मुनि तोही। शिवजी ने नारदजी से कहा हे मुनि! मैं तुमसे बार-बार विनती करता हूँ कि जिस… Read More
जरा मरन दुख रहित तनु समर जितै जनि कोउ। प्रताप भानु के मुठी में तीनो के तीन धर्म अर्थ काम… Read More
राम सप्रेम कहेउ मुनि पाहीं। नाथ कहिअ हम केहि मग जाहीं॥ प्रभु श्री राम स्वयं विष्णु के अवतार थे। उनके… Read More