परहित,वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा सरीर।। साधु का स्वभाव परोपकारी होता… Read More
सलाह,भल न कीन्ह तैं निसिचर नाहा। कुम्भकर्ण की रावण को सलाह-तुम राक्षसो के नाथ हो।तुम्हे ऐसा कर्म नहीं करना चाहिए जिससे… Read More
सजल नयन कह जुग कर जोरी। तीसरा उपदेश मंदोदरी का-पिछले दो बार के उपदेशों में मन्दोदरी ने रावण को कन्त… Read More
चरन नाइ सिरु अंचलु रोपा। मन्दोदरी का रावण को दूसरी बार समझाना है।- प्रथम बार सुन्दर काण्ड में समझाया।जब कोई… Read More
बिनती करउँ जोरि कर रावन। हनुमानजी ने रावण से कहा- हे रावण! मैं तुमसे हाथ जोड़कर विनती करता हूँ- कि… Read More
रे त्रिय चोर कुमारग गामी। रावण का माता जानकी को सुमुखि कहने का भाव यह है कि मैं तुम्हारे सुन्दर… Read More
जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल। राम जी के जीवन में(कई बेहतरीन योग फिर भी इतना संघर्ष) प्रभु… Read More
मुनि मख राखन गयउ कुमारा। रावण को 19 बार वैर छोड़ कर राम का भजन करने का उपदेश दिया गया… Read More
कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। काकभुशुण्डिजी कहते हैं- हे गरुड़जी! हनुमान जी को छोड़ कर सभी बलवान है तभी तो सभी… Read More
कह बालि सुनु भीरु प्रिय समदरसी रघुनाथ। तारा ने बाली से कहा कि हे नाथ! सुनिए,हे नाथ ये वही सुग्रीव… Read More