मानसरोग

श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधार।

  श्री गुरु चरण सरोज तुलसीदास जी नेकहा-गुरु जी के चरण कमल के रज से अपने मन रूपी दर्पण को… Read More

1 year ago

माया मरी न मन मरा, मर मर गये शरीर।

माया मरी न मन संत कबीर ने कहा शरीर तो नष्ट हो जाता है पर मन में उठने वाली आशा… Read More

2 years ago

अहंकार,नहिं कोउ अस जनमा जग माहीं। प्रभुता पाइ जाहि मद नाहीं॥

नहिं कोउ अस जनमा एक अकेला अहंकार ही जीव को नर्क की यात्रा करा देता है। अहंकार अविद्या या अज्ञान… Read More

2 years ago

प्रेम,बार बार प्रभु चहइ उठावा। प्रेम मगन तेहि उठब न भावा॥

बार बार प्रभु चहइ रामजी हनुमान जी को बार-बार उठाना चाहते है, परंतु प्रेम में डूबे हुए हनुमान जी को… Read More

2 years ago

मानस चिंतन,जानें बिनु न होइ परतीती । बिनु परतीति होइ नहि प्रीती ।

जानें बिनु न होइ किसी से प्रेम तब तक नहीं हो सकता जब तक उसके विषय में जानकारी ना हो… Read More

2 years ago

श्रवन सुजसु सुनि आयउँ, प्रभु भंजन भव भीर।

श्रवन सुजसु सुनि आयउँ विभीषण की शरणागति के माध्यम से गोस्वामी जी- ने मनुष्य को ईश्वर की शरण में जाने की… Read More

2 years ago

परहित,वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर।

  परहित,वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा सरीर।। साधु का स्वभाव परोपकारी… Read More

2 years ago

सलाह,भल न कीन्ह तैं निसिचर नाहा। अब मोहि आइ जगाएहि काहा॥

सलाह,भल न कीन्ह तैं निसिचर नाहा। कुम्भकर्ण की रावण को सलाह- तुम राक्षसो के नाथ हो । तुम्हे ऐसा कर्म… Read More

2 years ago

सलाह,सजल नयन कह जुग कर जोरी। सुनहु प्रानपति बिनती मोरी॥

सजल नयन कह जुग कर जोरी। तीसरा उपदेश मंदोदरी का-पिछले दो बार के उपदेशों में मन्दोदरी ने “कन्त और प्रिय!… Read More

2 years ago

मन्दोदरी,चरन नाइ सिरु अंचलु रोपा। सुनहु बचन पिय परिहरि कोपा॥

चरन नाइ सिरु अंचलु रोपा। मन्दोदरी का रावण को दूसरी बार समझाना है।- प्रथम बार सुन्दर काण्ड में समझाया।जब कोई… Read More

2 years ago