श्री गुरु चरण सरोज तुलसीदास जी नेकहा-गुरु जी के चरण कमल के रज से अपने मन रूपी दर्पण को… Read More
माया मरी न मन संत कबीर ने कहा शरीर तो नष्ट हो जाता है पर मन में उठने वाली आशा… Read More
नहिं कोउ अस जनमा एक अकेला अहंकार ही जीव को नर्क की यात्रा करा देता है। अहंकार अविद्या या अज्ञान… Read More
बार बार प्रभु चहइ रामजी हनुमान जी को बार-बार उठाना चाहते है, परंतु प्रेम में डूबे हुए हनुमान जी को… Read More
जानें बिनु न होइ किसी से प्रेम तब तक नहीं हो सकता जब तक उसके विषय में जानकारी ना हो… Read More
श्रवन सुजसु सुनि आयउँ विभीषण की शरणागति के माध्यम से गोस्वामी जी- ने मनुष्य को ईश्वर की शरण में जाने की… Read More
परहित,वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा सरीर।। साधु का स्वभाव परोपकारी… Read More
सलाह,भल न कीन्ह तैं निसिचर नाहा। कुम्भकर्ण की रावण को सलाह- तुम राक्षसो के नाथ हो । तुम्हे ऐसा कर्म… Read More
सजल नयन कह जुग कर जोरी। तीसरा उपदेश मंदोदरी का-पिछले दो बार के उपदेशों में मन्दोदरी ने “कन्त और प्रिय!… Read More
चरन नाइ सिरु अंचलु रोपा। मन्दोदरी का रावण को दूसरी बार समझाना है।- प्रथम बार सुन्दर काण्ड में समझाया।जब कोई… Read More