प्रार्थनारामचरितमानस

सुमिरत हरिहि श्राप गति बाधी। सहज बिमल मन लागि समाधी॥

सुमिरत हरिहि श्राप गति अवतार के हेतु, कैलाश पर्वत तो पूरा ही पावन है पर जहाँ जहाँ गंगा जी बहती… Read More

1 year ago

श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधार।

  श्री गुरु चरण सरोज तुलसीदास जी नेकहा-गुरु जी के चरण कमल के रज से अपने मन रूपी दर्पण को… Read More

1 year ago

प्रभु माया बलवंत भवानी। जाहि न मोह कवन अस ग्यानी॥

प्रभु माया बलवंत भवानी। माया का प्रभाव - गरुण जी कोई साधारण नहीं है गरुण जी त्रिलोक पति के वाहन… Read More

2 years ago

माया मरी न मन मरा, मर मर गये शरीर।

माया मरी न मन संत कबीर ने कहा शरीर तो नष्ट हो जाता है पर मन में उठने वाली आशा… Read More

2 years ago

राम कथा कलिकामद गाई । सुजन संजीवन मूर सुहाई ।।

राम कथा कलिकामद गाई । मंगलाचरण जय जय राम कथा । जय श्री राम कथा।। इसे श्रवन कर मिट जाती… Read More

3 years ago

मनुष्य शरीर,देह धरे कर यह फलु भाई। भजिअ राम सब काम बिहाई।।

देह धरे कर यह फलु भाई। रामचंद्रजी ने स्वयं कहा - मनुष्य को जो देह से प्यार है उसमे कोई सा भी… Read More

5 years ago

प्रार्थना,सीता राम चरन रति मोरें। अनुदिन बढ़उ अनुग्रह तोरें॥

    सीता राम चरन रति मोरें। तुलसीदास जी अपने भगवान राम से कह रहे- हे रघुवीर, मुझ जैसा दीनहीन… Read More

5 years ago