परहित

परहित,वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर।

  परहित,वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा सरीर।। साधु का स्वभाव परोपकारी… Read More

2 years ago

परहित बस जिन्ह के मन माहीं ।तिन्ह कहुँ जग दुर्लभ कछु नाहीं ॥

  परहित बस जिन्ह के मन माहीं । संत  कहते  है आत्म कल्याण से मनुष्य पर  प्रभु की कृपा नहीं… Read More

5 years ago