रामायण

मैं निसिचर अति अधम सुभाऊ। सुभ आचरनु कीन्ह नहिं काऊ॥

मैं निसिचर अति अधम सुभाऊ। विभीषण जी ने कहा-नाथ दसानन कर मैं भ्राता।  अपनी अधमता… Read More

गौतम नारि श्राप बस उपल देह धरि धीर। चरन कमल रज चाहति

गौतम नारि श्राप बस उपल देह धरि धीर। राम शब्द का अर्थ परम ब्रह्म है।… Read More

होइहि भजनु न तामस देहा। मन क्रम बचन मंत्र दृढ़ एहा॥

होइहि भजनु न तामस देहा। विभीषण में दीनता का भाव- विभीषण हनुमान से बोल रहे… Read More

ता पर मैं रघुबीर दोहाई। जानउँ नहिं कछु भजन उपाई॥

ता पर मैं रघुबीर दोहाई। श्री हनुमान जी में भक्ति के सारे गुण है पर… Read More

सहज सरल सुनि रघुबर बानी। साधु साधु बोले मुनि ग्यानी॥

सहज सरल सुनि रघुबर बानी। भारद्वाज मुनि के आश्रम से चलते समय रामजी ने मुनि… Read More

नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइहि केउ एक दास तुम्हारा॥

नाथ संभुधनु भंजनिहारा। भगवान परशुराम कहते है कि यह धनुष भगवान विष्णु का है, आखिर… Read More

मेरा मुझमें कुछ नहीं,जो कुछ है सो तोर। तेरा तुझकौं सौंपता,

मेरा मुझमें कुछ नहीं,जो कुछ है सो तोर। कबीर कह रहे हैं कि अगर आपको… Read More

उपजइ राम चरन बिस्वासा। भव निधि तर नर बिनहिं प्रयासा।।

उपजइ राम चरन बिस्वासा। तुलसीदास जी ने कहा-अपने अपने धर्म में जो अटल विश्वास है,… Read More

कवनिउ सिद्धि कि बिनु बिस्वासा। बिनु हरि भजन न भव भय नासा॥

कवनिउ सिद्धि कि बिनु बिस्वासा। ये तो भारत जैसे सनातन धर्म की महिमा है कि… Read More

तेहि कौतुक कर मरमु न काहूँ। जाना अनुज न मातु पिताहूँ॥

तेहि कौतुक कर मरमु न काहूँ। काकभुशुण्डि हे पक्षीराज! मुझे यहाँ निवास करते सत्ताईस कल्प… Read More