बार बार बिनवउँ मुनि तोही। शिवजी ने नारदजी से कहा हे मुनि! मैं तुमसे बार-बार विनती करता हूँ कि जिस… Read More
जरा मरन दुख रहित तनु समर जितै जनि कोउ। प्रताप भानु के मुठी में तीनो के तीन धर्म अर्थ काम… Read More
राम सप्रेम कहेउ मुनि पाहीं। प्रभु श्री राम स्वयं विष्णु के अवतार थे। उनके पास असीम शक्तियां थी, परंतु उन्होंने… Read More
असरन सरन बिरदु संभारी। अंगद की दीनता।अंगद ने कहा पिता के मरने पर में अशरण अर्थात अनाथ था तब आपने… Read More
कारन कवन नाथ नहिं आयउ। भरत की दीनता=भरतजी जैसा संत जिसको राम जी भजते हैं। बृहस्पति जी इंद्र से भरतजी… Read More
मैं निसिचर अति अधम सुभाऊ। विभीषण जी ने कहा-नाथ दसानन कर मैं भ्राता। अपनी अधमता दिखाने के लिए अपने को… Read More
गौतम नारि श्राप बस उपल देह धरि धीर। राम शब्द का अर्थ परम ब्रह्म है। कालिदास ने भी कहा हरि… Read More
होइहि भजनु न तामस देहा। विभीषण में दीनता का भाव- विभीषण हनुमान से बोल रहे है "तामस तनु कछु साधन… Read More
ता पर मैं रघुबीर दोहाई। श्री हनुमान जी में भक्ति के सारे गुण है पर फिर भी अपने को गुण… Read More
सहज सरल सुनि रघुबर बानी। भारद्वाज मुनि के आश्रम से चलते समय रामजी ने मुनि से कहा- हे नाथ! बताइए… Read More