मानस चिंतन

सबरी प्रसंग, केहि बिधि अस्तुति करौं तुम्हारी। अधम जाति मैं जड़मति भारी॥

केहि बिधि अस्तुति करौं तुम्हारी। संत जन कहते है संसार सागर को पार करने का… Read More

मन्दोदरी,चरन नाइ सिरु अंचलु रोपा। सुनहु बचन पिय परिहरि कोपा॥

चरन नाइ सिरु अंचलु रोपा। मन्दोदरी का रावण को दूसरी बार समझाना है।- प्रथम बार… Read More

सलाह,रहसि जोरि कर पति पग लागी। बोली बचन नीति रस पागी॥

रहसि जोरि कर पति पग लागी। मन्दोदरी प्रथम बार एकांत में हाथ जोड़कर पति (रावण)… Read More

बिनती करउँ जोरि कर रावन। सुनहु मान तजि मोर सिखावन॥

बिनती करउँ जोरि कर रावन। हनुमानजी ने रावण से कहा- हे रावण! मैं तुमसे हाथ… Read More

रे त्रिय चोर कुमारग गामी। खल मल रासि मंदमति कामी॥

रे त्रिय चोर कुमारग गामी। रावण का माता जानकी को सुमुखि कहने का भाव यह… Read More

जामवंत, कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना।।

कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। काकभुशुण्डिजी कहते हैं- हे गरुड़जी! हनुमान जी को छोड़ कर सभी… Read More

कह बालि सुनु भीरु प्रिय समदरसी रघुनाथ।

कह बालि सुनु भीरु प्रिय समदरसी रघुनाथ। तारा ने बाली से कहा कि हे नाथ!… Read More

नारद सिख जे सुनहिं नर नारी। अवसि होहिं तजि भवनु भिखारी॥

नारद सिख जे सुनहिं नर नारी। सप्तऋषि ने पार्वती को भटकाने के लिए बहुत कुछ… Read More