गुर बिनु भव निध तरइ न कोई। तीन लोक नौ खण्ड में गुरु से बड़ा न कोय, करता जो न… Read More
देह धरे कर यह फलु भाई। रामचंद्रजी ने स्वयं कहा - मनुष्य को जो देह से प्यार है उसमे कोई सा भी… Read More
सीता राम चरन रति मोरें। तुलसीदास जी अपने भगवान राम से कह रहे- हे रघुवीर, मुझ जैसा दीनहीन… Read More
रामनाम की औषधि खरी नियत से खाय। राम नाम की बड़ी अद्भुत महिमा है। बस, जरूरत है तो केवल श्रद्धा,… Read More
मागी नाव न केवटु आना। जब सुमंत्र जी ने रामजी से वापस चलने को कहा- तो (राम लक्ष्मण सीता) में… Read More