रावनु रथी बिरथ रघुबीरा। तुलसी का धर्म रथ-संसार में विजय प्राप्त करने के लिए धर्म और आचरण एक निर्णायक तत्त्व… Read More
तेहि कौतुक कर मरमु न काहूँ। काकभुशुण्डि हे पक्षीराज! मुझे यहाँ निवास करते सत्ताईस कल्प बीत गए, संत का मत… Read More
नाथ एक संसउ बड़ मोरें। वाल्मीकि रामायण के बाद दूसरी रामकथा तुलसीकृत श्रीरामचरितमानस में भरद्वाज रामकथा के रसिक हैं। तुलसी… Read More
सतीं मरत हरि सन बरु मागा। पर्वती विवाह- शिव जी के मना करने पर भी सती जी… Read More
साखामग कै बड़ि मनुसाई। हनुमान जी की दीनता लघुता- हनुमान को ही अष्ट सिद्धि और नव निधियों का दाता कहा… Read More
गुर बिनु भव निध तरइ न कोई। तीन लोक नौ खण्ड में गुरु से बड़ा न कोय, करता जो न… Read More