मानसरोग

तदपि एक मैं कहउँ उपाई। होइ करै जौं दैउ सहाई॥

तदपि एक मैं कहउँ पार्वती विवाह- हे पर्वतराज! ब्रह्मा जी ने जो ललाट पर लिख दिया है,… Read More

श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधार।

श्री गुरु चरण सरोज तुलसीदास जी ने कहा-गुरु जी के चरण कमल के रज से… Read More

प्रभु माया बलवंत भवानी। जाहि न मोह कवन अस ग्यानी॥

प्रभु माया बलवंत भवानी। माया का प्रभाव - गरुण जी कोई साधारण नहीं है गरुण… Read More

यह सब माया कर परिवारा। प्रबल अमिति को बरनै पारा।।

यह सब माया कर माया का परिवार-संतो  द्वारा सुन्दर व्याख्या माया अकेली नहीं है इसके  परिवार… Read More

माया,मैं अरु मोर तोर तैं माया। जेहिं बस कीन्हे जीव निकाया॥

मैं अरु मोर तोर माया जड़ है जैसे कुल्हाड़ी स्वयं कुछ नहीं कर सकती जब… Read More

माया मरी न मन मरा, मर मर गये शरीर।

माया मरी न मन संत कबीर ने कहा शरीर तो नष्ट हो जाता है पर… Read More

अहंकार,नहिं कोउ अस जनमा जग माहीं। प्रभुता पाइ जाहि मद नाहीं॥

नहिं कोउ अस जनमा एक अकेला अहंकार ही जीव को नर्क की यात्रा करा देता… Read More

प्रेम,बार बार प्रभु चहइ उठावा। प्रेम मगन तेहि उठब न भावा॥

बार बार प्रभु चहइ रामजी हनुमान जी को बार-बार उठाना चाहते है, परंतु प्रेम में… Read More

श्रवन सुजसु सुनि आयउँ, प्रभु भंजन भव भीर।

श्रवन सुजसु सुनि आयउँ विभीषण की शरणागति के माध्यम से गोस्वामी जी- ने मनुष्य को ईश्वर… Read More