ज्ञान गंगा

पार्वती विवाह,देखहु मुनि अबिबेकु हमारा। चाहिअ सदा सिवहि भरतारा।।

देखहु मुनि अबिबेकु हमारा। पार्वती विवाह- शंकर जी ने सप्तऋषियों से कहा की जाकर पार्वती जी की परीक्षा लो सप्तऋषियों… Read More

2 years ago

सौरज धीरज तेहि रथ चाका। सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका॥

सौरज धीरज तेहि रथ चाका। तुलसीदास ने रामजी के माध्यम से हम सभी को यह सन्देश दिया कि  हमारे जीवन… Read More

2 years ago

रावनु रथी बिरथ रघुबीरा। देखि बिभीषन भयउ अधीरा।।

रावनु रथी बिरथ रघुबीरा। तुलसी का धर्म रथ-संसार में विजय प्राप्त करने के लिए धर्म और आचरण एक  निर्णायक तत्त्व… Read More

2 years ago

तेहि कौतुक कर मरमु न काहूँ। जाना अनुज न मातु पिताहूँ॥

तेहि कौतुक कर मरमु न काहूँ। काकभुशुण्डि हे पक्षीराज! मुझे यहाँ निवास करते सत्ताईस कल्प बीत गए, संत का मत… Read More

2 years ago

नाथ एक संसउ बड़ मोरें। करगत बेदतत्त्व सबु तोरें॥

नाथ एक संसउ बड़ मोरें। वाल्मीकि रामायण के बाद दूसरी रामकथा तुलसीकृत श्रीरामचरितमानस में भरद्वाज रामकथा के रसिक हैं। तुलसी… Read More

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जब तें रामु ब्याहि घर आए । नित नव मंगल मोद बधाए ॥

जब तें रामु ब्याहि घर आए । परम पूज्य संत श्री डोंगरे जी महाराज कहा करते थे जिन परिवारों मे… Read More

2 years ago

हरि अवतार हेतु जेहि होई। इदमित्थं कहि जाइ न सोई॥

हरि अवतार हेतु जेहि होई। राम अवतार के कारण भाव वाले भक्त का, भगवान पर भी भार है। इसलिए परब्रह्म… Read More

2 years ago

पार्वती विवाह,सतीं मरत हरि सन बरु मागा। जनम जनम सिव पद अनुरागा॥

      सतीं मरत हरि सन बरु मागा। पर्वती विवाह- शिव जी के मना करने पर भी सती जी… Read More

3 years ago

प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥

प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। 1 मंगलाचरण जय जय राम कथा|जय श्री राम कथा इसे श्रवन कर मिट जाती है… Read More

3 years ago

तुम्ह सारिखे संत प्रिय मोरें।धरउँ देह नहिं आन निहोरें॥

  तुम्ह सारिखे संत प्रिय मोरें। भगवान रामजी का विभीषणजी के माध्यम हम सभी को दिव्य संदेश रामजी ने कहा-  मनुष्य की ममता नौ जगह  रहती… Read More

4 years ago