श्री जानकी जी ने तृण का परदा करके रावण से बातें की सम्मुख नहीं, यह मर्यादा की रक्षा है! “बैदेही अवधपति”अपने मायके और पति कुल के महत्त्व को आगे करके बोलीं! रावण ने अपने ऐश्वर्य का लोभ दिखाया उसके प्रति भी तृण ओट द्वारा बताया कि अपने (उभय=दोनों) कुल के ऐशवर्य के आगे में तुम्हारे इस ऐशवर्य को तृण समान मानती हूँ।
जानकी जी ने (तृण=घास का तिनका) का परदा करके रावण से बातें की, सम्मुख नहीं,यह मर्यादा की रक्षा है! सीता जी उसी तरह (पर=पराया, दूसरे का) पुरुष की ओर दृष्टि नहीं करती,जैसे श्रीराम पर स्त्री कि ओर नहीं देखते है! दोनों का एक ही नियम है! रामजी ने स्वयं लक्ष्मण से कहा भी है।
अनसूया जी ने सीता जी से पतिव्रत धर्म कहा-जगत में चार प्रकार की पतिव्रताएँ हैं। वेद, पुराण और संत सब ऐसा कहते हैं कि उत्तम श्रेणी की पतिव्रता के मन में ऐसा भाव बसा रहता है कि (सूत्र) जगत में (मेरे पति को छोड़कर) दूसरा पुरुष स्वप्न में भी नहीं है।साहेब ये तो सनातन धर्म की मुख्य विशेषता है।
सुन रावण तू लंका मात्र का ऎश्वर्य दिखाता है पर मेरे स्वामी अवध के पति है, जो चक्रवर्ती पद हैं। तू स्नेह दिखाता है, मेरे स्वामी भी परम सनेही हैं। अतः मेरे स्वामी में और तुम में बहुत बड़ा अंतर है इस अंतर को जानकी जी बताती है! हे दशमुख! जुगनू के प्रकाश से कभी कमलिनी खिल सकती है? जुगुनू का प्रकाश सूर्योदय से पहले ही रहता है , वैसे ही तेरी दुष्टता स्वामी रामजी के आने तक ही है।जैसे कमलनी सूर्य की (अनुवर्तनी=आज्ञाकारी) है वैसे ही मैं श्री रामजी की अनन्य पत्नी हूँ। (खद्योत=जुगनू)
जानकीजी फिर कहती हैं- तू (अपने लिए भी) ऐसा ही मन में समझ ले। रे दुष्ट! तुझे श्री रघुवीर के बाण की खबर नहीं है। रे पापी! तू मुझे सूने में हर लाया है। रे अधम! निर्लज्ज! तुझे लज्जा नहीं आती (नलिनी= कमलिनी) (खद्योत=जुगनू)
क्या तुझे रामजी के बाण का का प्रभाव नहीं मालूम !आपको तो मारीच ने भी बताया!
क्या तुझे जयंत की कहानी नहीं मालूम!
क्या तुझे ताड़का की कहानी नहीं मालूम!
और तूने तो स्वयं ही कहा है !
अरे अधम सठ! देवताओं के शत्रु! तेरा बल तो मैंने तभी जान लिया जब तू सूने में पराई स्त्री को हर (चुरा) लाया। (तव=तुम्हार) (सुरारी=देवताओं का शत्रु, राक्षस)
संत-असंत वंदना जितनी वन्दना मानस में बाबा तुलसी ने की उतनी वंदना किसी दूसरे ग्रंथ… Read More
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बिस्व बिदित एक कैकय अवतार के हेतु, फल की आशा को त्याग कर कर्म करते… Read More
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